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    आर्थिक तंगी से जूझ रही छात्रा की प्रशासन और सामाजिक संस्था ने की मदद

    आर्थिक तंगी से जूझ रही छात्रा की प्रशासन और सामाजिक संस्था ने की मदद

    अपनी बेबसी को लेकर छात्रा प्रशासनिक अधिकारियों के पास पहुंची जिसके बाद होनहार बेटी की मदद के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने कदम आगे बढ़ाये और महिमा को आने जाने के लिए एक साइकिल, खाने और रीवा में रहने की व्यवस्था की इसके अलावा एक सामाजिक संस्थान ने भी महिमा की आगे की पूरी पढ़ाई का जिम्मा उठाया |

    कहा की रहने वाली है -

    दरअसल रीवा जिले के गोविंदगढ़ स्थित अमिलकी निवासी बृजेंद्र सतनामी मजदूरी का कार्य करते हैं जबकि उनकी पत्नी सहायिका है बृजेंद्र सतनामी की पुत्री महिमा सतनामी ने कक्षा 12वीं में 77.6 प्रतिशत अंक अर्जित कर अपने परिवार का नाम रोशन किया था इसके बाद उसने मॉडल साइंस कॉलेज में दाखिला लिया 71% अंक अर्जित करते हुए सफलता की एक और सीढ़ी चढ़ी वर्तमान में महिमा सतनामी गुरुकुल कॉलेज से B.Ed की पढ़ाई कर रही है | महिमा का सपना है कि वह अपनी पढ़ाई पूरी करके शिक्षिका बनी और बच्चों को शिक्षित कर देश के लिए अपना योगदान दे लेकिन अब आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए उसे काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है

    क्योंकि दलित छात्रा महिमा के आगे अब आर्थिक तंगी उसके आने आ रही है बीते कल किसी कार्य के चलते वह कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंची थी छात्रा की मुलाकात एक अधिवक्ता से हुई उसने अपनी पीड़ा अधिवक्ता से व्यक्त की जिसके बाद अधिवक्ता ने छात्रा को अपार कैरेक्टर शैलेंद्र सिंह के पास जाने की नसीहत दी जिसके बाद छात्र एडीएम से मिली और उनसे तत्काल मदद की गुहार लगाई एडीएम ने छात्रा को आने-जाने के लिए एक साइकिल भेंट की और शहर में खान और रहने का इंतजाम भी किया प्रशासनिक अधिकारी के इस पहल की अब हर कोई तारीफ कर रहा है इस बात की जानकारी जब एक सामाजिक संस्थानलोगों को हुई तो उन्होंने छात्रा की मदद के लिए अपने कदम आगे बढ़े और सामाजिक संस्थान ने दलित छात्रा महिमा सतनामी की आगे की पढ़ाई का जिम्मा उठाया और प्रशासनिक अधिकारी और सामाजिक संस्थान की पहल से अब महिमा अपने सपने को साकार कर सकेंगे और कई छात्र-छात्राओं को शिक्षित कर उनका भविष्य उज्जवल कर देश के लिए अपना योगदान देंगे 

    महिमा सतनामी ने कहा -

    मेरा नाम महिमा सतनामी है मैं गांव अमेरिकी गोविंदगढ़ थाना की रहने वाली हूं मेरे मम्मी और मेरे पापा पापा मेरे मजदूरी कर दे मम्मी मेरी सहायिका हैऔर मेरी मम्मी पढ़ी लिखी है ट्वेल्थ तक उन्होंने हमें सबसे पहले पढ़ना स्टार्ट कराया कि उन्होंने मुझे बताया मतलब उन्होंने मुझे पढ़ाया स्कूल में जब डाल तुम्हें स्कूल में गई और मेरी स्कूल में पढ़ने में रुचि बढ़ती चली गई और मैं अपने क्लास में अब्बल भी आती गई और आज भी अव्वल ही हूं मेहनत कर रही हूं ऐसे में हाई स्कूल से पास किया 12वीं भी मैंने पास किया मॉडल साइंस मैंने ग्रेजुएशन पास किया फिर ग्रेजुएशन पास किया मैंने उसके बाद मुझे टीचिंग लाइन में जाना था मुझे एक शिक्षक बना था क्योंकि मुझे बच्चों के साथ जुड़ना अच्छा लगता है जैसे मैं लड़की हूं शिक्षा हूं लड़कियों को शिक्षा नहीं मिल पाती है वैसे ही मैं 12वीं क्लास से ही बच्चों को कोचिंग देना शुरू कर दी थी ताकि मैं अपनी फैमिली से फाइनेंशियल सपोर्ट ना ले सके क्योंकि वह ज्यादा नहीं कर पा रहे थे

    लड़की ने क्या कहा -

    मैंने कियाऔर उनका भी फुल सपोर्ट रहा गांव मेंजिला प्रशासन में मैं यहां जैसे कि हम सरकार हमें पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप देती है और आवास योजना भी देती है तो मैं यहां अपने काम से ही आई थी आवास योजना का एक शपथ पत्र बनवाने जिससे मेरी मुलाकात एक एडवोकेट वैद्यनाथ सिंह से उन्होंने मेरी मुलाकात हमारे एटीएम सर साइलेंसर अपर कलेक्टर जिसे मिलवाया उन्होंने मेरा रिज्यूम देखा रिज्यूम देखने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा बेटा आपको क्या करना है हमने सारी अपनी कहानी बताई सर ऐसा है फिर उन्होंने बोला कि मैंने बोला कि सर मुझे पढ़ने के लिए 6 मठ चाहिए अगर आप मेरी फाइनेंशियल सपोर्ट कर सकते हैं उन्होंने मेरा फुल सपोर्ट किया और एक एनजीओ में अनामिका शुक्ला करके मैं है वह मेरा अभी इस पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाने वाली है 6 महीने तक मैं उनका दिल से धन्यवाद करती हूं और आगे चलकर कुछ बनना भी चाहती हूं ताकि उनकी हिम्मत बनी रहे औरवह आगे ही ऐसे ही लोगों की मदद करती रहे और आगे चलकर मैं भी कुछ बनके ऐसे ही अपने जैसे जैसे मैं आज पढ़ रही हूं मुझे फाइनेंशियल सपोर्ट कर रही है आगे चलकर मैं भी बच्चियों की सपोर्ट करूंगी और करना चाहूंगी |